Shiv chaisa - An Overview

शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.

कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के Shiv chaisa घटवासी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

महाभारत काल से दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिर

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं ।

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी

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